फॉरेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. राहुल गुप्ता को स्कॉटलैंड से आया आभार पत्र -स्कॉटलैंड की युवती के पैथोलॉजिकल पोस्टमार्टम में जताई थी ‘अर्हिमोजैनिक राइट बेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी’ बीमारी से मौत की संभावना -मनाली के सोलंगनाला के पास रॉक क्लाइंबिंग के दौरान बैठे-बैठे हो गई थी मौत तरसेम सैनी, टांडा (कांगड़ा) हिमाचल ही नहीं देशभर में पोस्टमार्टम को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां हैं। हादसा या किसी भी तरह से अपने नजदीकी की मौत हो जाती है तो उसका पोस्टमार्टम करवाने से डरते हैं। लेकिन सब यह भूल जाते हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी कई ऐसी बीमारियों का पता चल सकता है, जिनसे बचाव कर अन्य परिजनों का जीवन बेहतर बनाया जा सकता है।

ऐसा ही मामला आइजीएमसी के फॉरेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. राहुल गुप्ता को स्कॉटलैंड से आए एक आभार पत्र में सामने आया है। क्वीन एलिजाबेथ मेडिकल विश्वविद्यालय ग्लास्गो की जेनेटिसिस्ट सलाहकार डॉ. रूथ मैकगोवन ने लिखा है कि स्कॉटलैंड की एक युवती के पैथोलॉजिकल पोस्टमार्टम में ‘अर्हिमोजैनिक राइट बेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी’ नामक बीमारी से मौत का कारण बताया गया है। इसके मुताबिकपोस्टमार्टम ने बचाई परिजनों की जान इनके परिवार की जांच में उसकी बड़ी बहन में भी इस बीमारी की अनुवाशिंक रूप से पुष्टि हुई है। उसके डीएनए में रोगजनक जीन परिवर्तन पाया गया, जिसे डीएसपी2 व डीएससी2 कहते हैं। ऐसा लगता है कि छोटी बहन की भारत भ्रमण के दौरान मृत्यु का कारण भी यही बीमारी रही होगी। डॉ. राहुल गुप्ता के मुताबिक हिमाचल घूमने आई स्कॉटलैंड की 18 वर्षीय युवती की मई 2015 में कुल्लू जिला के मनाली के सोलंगनाला में रॉक कलाइंबिंग के दौरान बैठे-बैठे मौत हो गई थी।

शव का पहला पोस्टमार्टम मनाली में हुआ, परंतु मृत्यु का स्पष्ट कारण नहीं मिला। इसके बाद दूसरे पोस्टमार्टम के लिए शव पैथोलॉजिकल पोस्टमार्टम के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा लाया गया। वह उस समय टांडा मेडिकल कॉलेज में तैनात थे। उन्होंने पोस्टमार्टम के बाद बिसरा फॉरेंसिक साइंस लैब जुन्गा भेजा और पैथोलॉजी विभाग में हृदय का सैंपल भी भेजा, लेकिन ये सारी रिपोर्ट नेगेटिव आई। इसके बाद युवती के अप्राकृतिक मृत्यु के कारणों की संभावना को दरकिनार करने के बाद प्राकृतिक मृत्यु के कारणों के बारे में अध्ययन किया गया। सारे हालात का अध्ययन करने के बाद युवती की मौत ‘अर्हिमोजैनिक राइट बेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी’ नामक बीमारी से होने की संभावना जताई थी। यह रिपोर्ट जब स्कॉटलैंड पहुंची तो वहां की सरकार ने युवती के परिजनों (खून के रिश्ते वाले परिवार के सदस्यों) की जांच करवाई। स्कॉटलैंड के क्वीन एलिजाबेथ मेडिकल विश्वविद्यालय ग्लास्गो ने युवती के परिजनों की जांच की। युवती की बड़ी बहन में इस बीमारी के लक्षण पाए जाने पर उसका उपचार चल रहा है।

———- भारत के लोग पोस्टमार्टम के बारे में हीन भावना से ग्रसित न रहें। अगर किसी की अकस्मात मृत्यु होती है जिसमें मौत के कारण का पता न चले तो पोस्टमार्टम करवा लिया जाना चाहिए। इससे कई अनुवाशिंक बीमारियों का भी पता चल सकता है और उनके निदान से परिवार के अन्य सदस्यों के जीवन को सुरक्षित बनाया जा सकता है। -डॉ. राहुल गुप्ता, असिस्टेंट प्रोफेसर फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग आइजीएमसी।

———— दो तरह से होता है पोस्टमार्टम मेडिकोलीगल : हत्या व हादसे के बाद सीआरपीसी की धारा 174 के तहत पुलिस मृत व्यक्ति का पोस्टमार्टम करवाती है। इस पोस्टमार्टम की रिपोर्ट का इस्तेमाल आपराधिक मामलों के लिए ही किया जाता है। पैथोलॉजिकल : यह सिर्फ बीमारी को जानने के लिए किया जाता है। इसमें पुलिस केस का कोई रोल नहीं होता। यह सिर्फ मौत जानने के कारणों और मृत व्यक्ति के परिजनों के आग्रह पर किया जाता है। इसमें कानूनी पेजीदगी नहीं होती है।

—————- क्या है अर्हिमोजैनिक राइट बेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी अर्हिमोजैनिक राइट बेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी बीमारी हृदय की कोशिकाओं में पैदा होती है। इसमें दिल की धड़कन बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इस कारण खून का दौरा कम हो जाता है, जिससे अचानक मृत्यु हो जाती है। यह बीमारी अनुवांशिक भी होती है।