हिमाचल के सेब बगीचों में इन दिनों यूरिया खाद की सख्त जरूरत है, लेकिन बागवानों को खाद नहीं मिल पा रही है। बागवानी क्षेत्रों में हिमफे ड और सहकारी सभाओं के स्टोरों में खाद खत्म हो चुकी है। ऐसे में बागवान सस्ती यूरिया खाद की जगह महंगी कैल्शियम नाइट्रेट खाद खरीदने के लिए मजबूर हैं।
राज्य कृषि महकमे और उद्यान विभाग की ओर से भी किसानों-बागवानों को नीम कोटेड यूरिया खाद डालने की संस्तुति की जाती है, लेकिन विभाग की ओर से इस खाद को अब उपलब्ध ही नहीं करवाया जा रहा। सेब के पौधों में इन दिनों पत्तियां निकलनी शुरू हो गई हैं। ठीक इसी वक्त नाइट्रोजन की जरूरत पड़ती है।
हाल ही में बागवानी विश्वविद्यालय नौणी से एक शोध में भी यह बात सामने आई है कि नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए यूरिया खाद सबसे अच्छा विकल्प है। इस खाद को नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड नंगल तैयार करता है।
सूत्रों का कहना है कि हिमफेड ने 2600 मीट्रिक टन यूरिया खाद की आपूर्ति करने के लिए ऑर्डर तो दे रखा है, लेकिन इसकी सप्लाई अटक गई है। चूंकि, बगीचों में खाद डालने का वक्त बीता जा रहा है, इसलिए बागवानों को मजबूरी में कैल्शियम नाइट्रेट खाद का सहारा लेना पड़ रहा है। कैल्शियम नाइट्रेट खाद की कंपनियां अलग-अलग रेट वसूल रही हैं।
नौ रुपये की जगह 250 का खर्च
यूरिया न मिलने से किसानों को खाद पर कई गुना ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है। यूरिया खाद का एक कट्टा (बोरी) 295 रुपये में मिल जाता है, जबकि 50 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट 992 से लेकर 1050 तक पड़ता है।
दस साल से अधिक वर्ष के सेब पौधे को डेढ़ किलो यूरिया देने से काम चल जाता है। इसकी लागत नौ रुपये बैठती है, जबकि कैल्शियम नाइट्रेट को साढ़े चार किलो की मात्रा में डालना पड़ता है, जिसका खर्च 250 रुपये पड़ता है।
एक दिन और इंतजार करें किसान-बागवान
किसान-बागवान परेशान न हों, बस एक दिन का और इंतजार करें। यह बात यूरिया खाद बनाने वाली सरकारी नियंत्रण में काम कर रही कंपनी नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (एनएफएल) के राज्य बिक्री प्रबंधक सुशील कुमार ने कही।
उनका कहना है कि नंगल से हिमाचल के बागवानी क्षेत्रों के लिए यूरिया खाद 400-500 टन भेजा जा रहा है। यह सोमवार तक बागवानी क्षेत्रों के हिमफेड के तमाम स्टोरों तक पहुंचा दिया जाएगा।
उधर हिमफेड में उर्वरक की आपूर्ति देख रहे अधिकारी राजकुमार आहलुवालिया ने कहा कि सोमवार के बाद यूरिया की नई खेप हिमाचल पहुंच जाएगी। 2600 टन की नई खेप का आर्डर दिया जा चुका है।